आज, 18 अप्रैल 2025, विश्व विरासत दिवस है। न्यूज़ टुडे इंडिया की इस खास रिपोर्ट में हम भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को हो रहे नुकसान का सच सामने ला रहे हैं। यह कोई लंबा-चौड़ा निबंध नहीं, बल्कि सीधा-सपाट सच है। लोग हमारी विरासत को कैसे बर्बाद कर रहे हैं, यह हम साफ शब्दों में बता रहे हैं, बिना किसी धार्मिक विवाद या भेदभाव के। हमारा मकसद सिर्फ सच दिखाना है, ताकि हम सब अपनी जिम्मेदारी समझें।
कचरा फेंकना: धरोहर पर गंदगी का दाग
भारत की मशहूर धरोहरें, जैसे ताजमहल, लाल किला, हंपी, और वाराणसी के घाट, गंदगी की चपेट में हैं। लोग इन जगहों पर प्लास्टिक की बोतलें, खाने के रैपर, और कचरा फेंकते हैं। पर्यटक आते हैं, फोटो खींचते हैं, और कचरा छोड़कर चले जाते हैं। ताजमहल के आसपास कचरे के ढेर दिखना आम बात है। वाराणसी में गंगा के घाटों पर लोग कचरा डालते हैं, जिससे नदी और गंदी हो रही है।
हंपी, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर है, वहां भी यही हाल है। प्राचीन मंदिरों और खंडहरों के पास शराब की बोतलें, सिगरेट के टुकड़े, और खाने का कचरा बिखरा रहता है। स्थानीय लोग और पर्यटक, दोनों ही साफ-सफाई की जिम्मेदारी नहीं लेते। इससे हमारी धरोहर की सुंदरता और महत्व दोनों खत्म हो रहे हैं।
पान-गुटखा थूकना: स्मारकों पर लाल दाग
पान और गुटखा थूकने की आदत ने हमारी धरोहर को बदरंग कर दिया है। लाल किले की दीवारें, कुतुब मीनार के आसपास, और छोटे-छोटे मंदिरों पर लोग पान-गुटखा थूकते हैं। यह गंदगी न सिर्फ स्मारकों को खराब करती है, बल्कि उनकी ऐतिहासिकता को भी ठेस पहुंचाती है।
वाराणसी के घाटों पर लोग खुलेआम थूकते हैं, जो गंगा को और प्रदूषित करता है। कोणार्क के सूर्य मंदिर और खजुराहो जैसे स्थानों पर भी यह समस्या आम है। लोग बिना सोचे-समझे अपनी इस आदत से हमारी धरोहर को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
अश्लील हरकतें: धरोहर का अपमान
हमारी धरोहरों पर कुछ लोग शर्मनाक हरकतें करते हैं। ऐतिहासिक जगहों पर दीवारों पर गंदे चित्र बनाना, अश्लील शब्द लिखना, और गलत व्यवहार करना अब आम हो गया है। खजुराहो के मंदिर, जो अपनी कला के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं, वहां कुछ लोग अश्लील टिप्पणियां करते हैं और गलत तरीके से व्यवहार करते हैं।
लाल किले और कुतुब मीनार जैसी जगहों पर लोग दीवारों पर अपने नाम और बेकार की चीजें लिखते हैं। यह न सिर्फ स्मारकों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि हमारी संस्कृति का भी अपमान करता है।
हंपी में रेप की घटना: सुरक्षा का अभाव
हंपी, जो अपनी प्राचीन सभ्यता और मंदिरों के लिए मशहूर है, वहां भी हमारी धरोहर की रक्षा में कमी साफ दिखती है। कुछ साल पहले हंपी में एक विदेशी पर्यटक के साथ रेप की घटना हुई थी। यह घटना पूरी दुनिया में सुर्खियां बनी और भारत की छवि को नुकसान पहुंचा। यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि हमारी धरोहर स्थलों की सुरक्षा में खामी को दिखाता है।
अगर पर्यटक सुरक्षित नहीं होंगे, तो लोग इन जगहों पर आने से डरेंगे। इससे हमारी धरोहर की सांस्कृतिक और आर्थिक अहमियत भी कम होगी। हंपी में इसके अलावा अवैध खनन और बेकाबू पर्यटन ने स्मारकों को और नुकसान पहुंचाया है। मंदिरों की दीवारें टूट रही हैं, और कई जगहों पर लोग नियम तोड़कर गलत काम करते हैं।
खुले में शौच: शर्मनाक हकीकत
हमारी धरोहर स्थलों के आसपास साफ-सफाई की हालत बहुत खराब है। कई जगहों पर शौचालय नहीं हैं, जिसके कारण लोग खुले में शौच करते हैं। हंपी और अन्य ऐतिहासिक स्थलों के पास यह समस्या आम है। पर्यटक और स्थानीय लोग स्मारकों के आसपास गंदगी फैलाते हैं, जो शर्मिंदगी का कारण बनता है।
कुछ गांवों में सार्वजनिक शौचालय बने हैं, लेकिन वे बंद रहते हैं या खराब हालत में हैं। इससे लोग मजबूरी में खुले में शौच करते हैं, जो हमारी धरोहर को और गंदा करता है।
धार्मिक स्थलों की बर्बादी
हमारे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, और अन्य धार्मिक स्थल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा हैं। लेकिन इन जगहों पर भी लोग गंदगी फैलाते हैं। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास कचरे के ढेर लगे रहते हैं। गंगा के घाटों पर लोग पूजा का सामान और कचरा फेंक देते हैं, जिससे पवित्रता नष्ट होती है।
कई मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर लोग दीवारों पर नाम लिखते हैं और गलत व्यवहार करते हैं। यह सिर्फ गंदगी की समस्या नहीं, बल्कि हमारी आस्था और संस्कृति के अपमान की बात है।
पर्यावरण का नुकसान: प्राकृतिक धरोहर पर संकट
हमारी प्राकृतिक धरोहर, जैसे गंगा, हिमालय, और सुंदरबन, भी खतरे में हैं। गंगा में फैक्ट्रियों का कचरा, प्लास्टिक, और गंदगी डाली जाती है, जिससे यह दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार हो गई है। हिमालय में अनियंत्रित पर्यटन और निर्माण ने जंगलों और नदियों को नुकसान पहुंचाया है।
सुंदरबन, जो अपनी जैव-विविधता के लिए मशहूर है, वहां भी प्रदूषण और जंगलों की कटाई ने नुकसान किया है। यह सब हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रभावित करता है, क्योंकि हमारी कई परंपराएं और कहानियां प्रकृति से जुड़ी हैं।
लोक कला और परंपराओं का खात्मा
हमारी सांस्कृतिक धरोहर सिर्फ इमारतें या नदियां नहीं, बल्कि हमारी लोक कला और परंपराएं भी हैं। राजस्थान की फड़ पेंटिंग, गुजरात की कच्छ कढ़ाई, और ओडिशा की पिपली कला अब धीरे-धीरे गायब हो रही हैं। लोग सस्ते, मशीन से बने सामान खरीदते हैं, जिससे कारीगर अपनी कला छोड़ रहे हैं।
लोक नृत्य जैसे कालबेलिया और गायकी जैसे बाउल भी अब कम ही देखने-सुनने को मिलते हैं। नई पीढ़ी इनसे दूर हो रही है, और हमारी सांस्कृतिक धरोहर का यह हिस्सा खत्म होने की कगार पर है।
न्यूज़ टुडे इंडिया की अपील
यह कड़वा सच है कि हम अपनी विरासत को अपने ही हाथों से नष्ट कर रहे हैं। कचरा फेंकना, पान-गुटखा थूकना, अश्लील हरकतें करना, और स्मारकों को नुकसान पहुंचाना हमारी आदतें बन गई हैं। हंपी जैसे स्थानों पर रेप जैसी शर्मनाक घटनाएं और बेकाबू पर्यटन हमारी धरोहर को और कमजोर कर रहे हैं। खुले में शौच और गंदगी ने हमारी धरोहरों को बदरंग कर दिया है।
हमारी धरोहर हमारी पहचान है। इसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। साफ-सफाई रखें, स्मारकों का सम्मान करें, और गलत व्यवहार से बचें। अपनी लोक कला और परंपराओं को अपनाएं, ताकि वे जिंदा रहें। अगर हम आज नहीं जागे, तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। न्यूज़ टुडे इंडिया की ओर से अपील है: अपनी विरासत को बचाएं, क्योंकि यह हमारा गर्व है।