इंदौर, 19 मई 2025 — इंदौर, मध्य प्रदेश की 25 साल की प्रियंशी सुगंधी ने शनिवार रात अपनी जिंदगी खत्म कर ली। वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही थी, जो बहुत मुश्किल होती है। तीन बार असफल होने के बाद वह बहुत तनाव में थी। यह दुखद खबर बताती है कि भारत में पढ़ाई का दबाव कितना भारी हो सकता है।
क्या हुआ?
प्रियंशी स्कीम नंबर 78 में रहती थी। उसने घर में अकेले फांसी लगाकर आत्महत्या की। उसने एक नोट छोड़ा, जिसमें लिखा था कि वह पढ़ाई की वजह से बहुत उदास थी और डिप्रेशन में थी। उसने अपने परिवार और दोस्तों से माफी मांगी। पुलिस ने बताया कि वह लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रही थी। पढ़ाई के साथ-साथ, प्रियंशी ने छह महीने पहले एक कैफे शुरू किया था, शायद कुछ नया करने की कोशिश में, लेकिन इससे उसका तनाव कम नहीं हुआ।
यह अकेली घटना नहीं
प्रियंशी की कहानी अकेली नहीं है। यूपीएससी की तैयारी करने वाले कई युवा ऐसे ही दबाव में हैं। कुछ उदाहरण:
- जुलाई 2024, दिल्ली: 26 साल की अंजलि ने पढ़ाई और किराए के पैसे की चिंता में आत्महत्या की।
- सितंबर 2024, ठाणे: 28 साल का एक लड़का इमारत से कूद गया, क्योंकि वह पढ़ाई के दबाव से परेशान था।
- 2019, दिल्ली: 27 साल की सोनाली ने यूपीएससी में असफल होने के बाद अपनी जिंदगी खत्म की।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक, भारत में हर साल 13,000 से ज्यादा छात्र आत्महत्या करते हैं। कई बार इसका कारण परीक्षा में असफल होना होता है। दिल्ली, कोटा और इंदौर जैसे शहर, जहां छात्र पढ़ने जाते हैं, वहां ऐसी घटनाएं ज्यादा हो रही हैं।
ऐसा क्यों हो रहा है?
यूपीएससी परीक्षा बहुत कठिन है। हर साल करीब 5 लाख लोग इसे देते हैं, लेकिन सिर्फ 1,000 पास होते हैं। बार-बार असफल होने से छात्रों को लगता है कि उन्होंने सबको निराश किया। इसके अलावा:
- पैसे की तंगी: कोचिंग और शहरों में रहने का खर्च बहुत है। अंजलि ने कहा था कि उसका किराया बहुत ज्यादा था।
- अकेलापन: प्रियंशी जैसे छात्र परिवार से दूर रहते हैं और अकेला महसूस करते हैं।
- बड़ा दबाव: परिवार और समाज चाहते हैं कि बच्चे पास हों और अच्छी नौकरी पाएं।
- उदासी की कोई मदद नहीं: कई छात्र अपनी उदासी के बारे में बात नहीं करते, क्योंकि उन्हें डर होता है कि लोग क्या कहेंगे।
क्या किया जा सकता है?
इस समस्या को हल करना जरूरी है। कुछ सुझाव:
- काउंसलिंग: कोचिंग सेंटर और स्कूल में तनाव के लिए सलाह देने वाले लोग होने चाहिए।
- कम खर्च: कोचिंग और किराए को सस्ता करना चाहिए।
- दूसरा मौका: तमिलनाडु में फेल होने वालों को फिर से परीक्षा देने का मौका मिलता है, जिससे आत्महत्याएं कम हुई हैं।
- कम दबाव: माता-पिता और समाज को बच्चों को सपोर्ट करना चाहिए, भले ही वे पास न हों।
- हेल्पलाइन: तनाव में मदद के लिए ज्यादा फोन नंबर होने चाहिए।
मदद की पुकार
प्रियंशी की मृत्यु एक चेतावनी है। यूपीएससी जैसे सपनों को पूरा करने वाले युवाओं को सहारा चाहिए, न कि सिर्फ दबाव। भारत को मिलकर काम करना होगा—परिवार, स्कूल और सरकार—ताकि छात्र सुरक्षित और खुश रहें, चाहे परीक्षा का नतीजा कुछ भी हो।
अगर आप उदास या तनाव में हैं, तो वंद्रेवाला फाउंडेशन (1860-266-2345) या स्नेहा इंडिया (044-24640050) पर फोन करें।