न्यूज़ टुडे इंडिया | 24 अप्रैल, 2025
भारत ने हाल ही में सिंधु जल संधि (1960) को रोकने का बड़ा फैसला लिया है, जिसके बाद पाकिस्तान में पानी की आपूर्ति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह कदम पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल, 2025) के जवाब में लिया गया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, यह संधि रुकी रहेगी। लेकिन, पाकिस्तान में जंगल सिर्फ 4.7% जमीन पर हैं, जो बारिश के बादलों को आकर्षित करने के लिए काफी नहीं हैं। अगर भारत पानी बंद कर देता है, तो क्या पाकिस्तान के जंगल और बारिश पर असर पड़ेगा?
सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी। इसके तहत छह नदियों—सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलज—का पानी बांटा गया। भारत को रावी, ब्यास, और सतलज (पूर्वी नदियां) का पूरा नियंत्रण मिला, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, और चिनाब (पश्चिमी नदियां) दी गईं। पाकिस्तान की खेती और पानी की आपूर्ति का 80% हिस्सा इन्हीं पश्चिमी नदियों से आता है। भारत ने अब इन नदियों का पानी रोकने का फैसला लिया है, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर बड़ा असर पड़ सकता है।
पहलगाम हमले के बाद भारत का फैसला
22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम, जम्मू-कश्मीर की बैसरण वैली में आतंकियों ने 26 लोगों की जान ले ली, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। लश्कर-ए-तैयबा और द रेजिस्टेंस फ्रंट, जो पाकिस्तान से समर्थन पाते हैं, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा छोटा किया और दिल्ली लौटकर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई। 23 अप्रैल को भारत ने पांच सख्त फैसले लिए, जिनमें सिंधु जल संधि को रोकना सबसे बड़ा था। भारत का कहना है कि यह कदम पाकिस्तान को आतंकवाद बंद करने के लिए मजबूर करेगा।
पाकिस्तान में जंगल: सिर्फ 4.7%
पाकिस्तान की कुल जमीन का सिर्फ 4.7% हिस्सा जंगलों से ढका है, यानी लगभग 37.3 लाख हेक्टेयर। यह आंकड़ा विश्व बैंक (2022) के आधार पर है। दुनिया में औसत जंगल कवर 31.2% और दक्षिण एशिया में 18.9% है, लेकिन पाकिस्तान में यह बहुत कम है। जंगल मुख्य रूप से इन इलाकों में हैं:
- खैबर पख्तूनख्वा: 20.3% जंगल कवर, जो पाकिस्तान के कुल जंगलों का 32.7% है।
- आजाद जम्मू-कश्मीर: 36.9% जंगल कवर, सबसे ज्यादा।
- सिंध: 14.8%।
- पंजाब: 12.4%।
- बलोचिस्तान: 11.1%।
- गिलगित-बाल्टिस्तान: 7%।
पाकिस्तान के जंगल बारिश के बादलों को आकर्षित करने में ज्यादा मदद नहीं करते। जंगल पानी के अणुओं को हवा में छोड़ते हैं, जिससे नमी बढ़ती है, लेकिन यह छोटे स्तर पर ही काम करता है। पाकिस्तान में बारिश मुख्य रूप से समुद्री हवाओं (अरब सागर, हिंद महासागर), मानसून, और हिमालय की भूगोल पर निर्भर करती है। 4.7% जंगल इतने कम हैं कि ये बड़े पैमाने पर बारिश को प्रभावित नहीं कर सकते।
अगर भारत पानी बंद कर दे तो क्या होगा?
अगर भारत सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का पानी रोक देता है, तो पाकिस्तान पर कई तरह के असर पड़ेंगे। ये नदियां पाकिस्तान की खेती, पानी की आपूर्ति, और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी हैं। आइए, इन असरों को समझें:
1. खेती पर असर
पाकिस्तान की 62% खेती इन पश्चिमी नदियों पर निर्भर है। ये नदियां 70 अरब गैलन पानी देती हैं, जो कपास, गेहूं, चावल, और गन्ने जैसी फसलों के लिए जरूरी है। पानी बंद होने से:
- फसल उत्पादन कम हो सकता है, जिससे खाद्य संकट बढ़ेगा।
- कपास उत्पादन, जो विश्व आपूर्ति का एक तिहाई है, प्रभावित होगा।
- अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, क्योंकि खेती पाकिस्तान की जीडीपी का 24% हिस्सा है।
2. जंगलों पर असर
पाकिस्तान के जंगल सीधे नदियों के पानी पर निर्भर नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर जंगल (जैसे खैबर पख्तूनख्वा और आजाद जम्मू-कश्मीर में) बारिश और भूजल से पलते हैं। लेकिन:
- मैंग्रोव जंगल (सिंध तट पर) इंडस डेल्टा में मीठे पानी पर निर्भर हैं। पानी बंद होने से ये जंगल खत्म हो सकते हैं, जिससे तटीय कटाव और जैव विविधता को नुकसान होगा।
- सिंचाई वाले जंगल (3-4% कुल जंगलों का) भी प्रभावित होंगे, क्योंकि इनके लिए नदी का पानी जरूरी है।
- जंगल पहले से ही कम हैं, और पानी की कमी से मिट्टी का कटाव और रेगिस्तान का फैलाव बढ़ेगा, जिससे जंगलों को और नुकसान हो सकता है।
3. बारिश पर असर
पानी बंद होने का बारिश पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि पाकिस्तान की बारिश समुद्री हवाओं, मानसून, और हिमालय के ग्लेशियर्स पर निर्भर है। लेकिन:
- लंबे समय में, पानी की कमी से मिट्टी की नमी कम होगी और पेड़-पौधे सूख सकते हैं, जिससे स्थानीय नमी और छोटे स्तर की बारिश प्रभावित हो सकती है।
- जलवायु परिवर्तन पहले से ही पाकिस्तान में बारिश को अनिश्चित बना रहा है। 2017-2020 के सूखे ने दक्षिणी पाकिस्तान में बारिश को बहुत कम किया था। जंगलों की कमी इस समस्या को थोड़ा और बढ़ा सकती है, लेकिन मुख्य कारण समुद्री और हिमालयी पैटर्न हैं।
4. पानी की कमी
पाकिस्तान पहले से ही पानी की कमी वाला देश है। 2021 में प्रति व्यक्ति पानी 1017 क्यूबिक मीटर था, और 2025 तक यह 500 क्यूबिक मीटर से कम हो सकता है। पानी बंद होने से:
- भूजल पर दबाव बढ़ेगा, क्योंकि लोग ट्यूबवेल का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे। इंडस बेसिन दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला जलभर है।
- शहरों में पीने के पानी की कमी हो सकती है, खासकर कराची और लाहौर जैसे बड़े शहरों में।
- पानी की कमी से लोग शहरों से गांवों की ओर पलायन कर सकते हैं, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ेगा।
5. अर्थव्यवस्था और समाज
पानी की कमी से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा। खेती के अलावा, पानी की कमी से बिजली उत्पादन (हाइड्रोपावर) भी प्रभावित होगा। 2022 के बाढ़ ने 33 मिलियन लोगों को बेघर किया था, और पानी की कमी ऐसी आपदाओं को और बढ़ा सकती है। इससे खाद्य असुरक्षा, बेरोजगारी, और सामाजिक अशांति बढ़ सकती है।
क्या जंगल बारिश ला सकते हैं?
पाकिस्तान में सिर्फ 4.7% जंगल हैं, जो बारिश के बादलों को आकर्षित करने के लिए काफी नहीं हैं। बड़े जंगल, जैसे अमेजन, बादलों को प्रभावित करते हैं, लेकिन पाकिस्तान के सूखे और उप-उष्णकटिबंधीय जंगल ऐसा नहीं कर सकते। फिर भी, जंगल नमी बढ़ाने और मिट्टी को बचाने में मदद करते हैं। लेकिन:
- हिमालय का रोल: पाकिस्तान का 80% पानी हिमालय के ग्लेशियर्स और बारिश से आता है। जंगल इस पानी को बनाए रखने में मदद करते हैं, लेकिन बारिश पैदा करने में नहीं।
- जलवायु परिवर्तन: बारिश के पैटर्न पहले से ही अनिश्चित हैं। जंगलों की कमी इस समस्या को थोड़ा बढ़ाती है, लेकिन मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग और समुद्री हवाएं हैं।
पाकिस्तान के जंगल बढ़ाने की कोशिशें
पाकिस्तान जंगलों को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है:
- टेन बिलियन ट्री सुनामी प्रोग्राम: 2018-2021 में 85.9 करोड़ पौधे लगाए गए, और 2023 तक 320 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य था। खैबर पख्तूनख्वा में जंगल कवर 20% से बढ़कर 27% हुआ।
- मैंग्रोव रीस्टोरेशन: सिंध के इंडस डेल्टा में मैंग्रोव जंगल बढ़ाए जा रहे हैं, जो तटीय इलाकों को बचाने में मदद करते हैं।
- चुनौतियां: अवैध कटाई, शहरीकरण, और ईंधन के लिए लकड़ी की मांग जंगलों को नुकसान पहुंचा रही है। जंगल बढ़ाने के लिए लंबे समय तक नीतियां और फंडिंग चाहिए।
क्या भारत पानी बंद करेगा?
सिंधु जल संधि को रोकना एक बड़ा कदम है, लेकिन पूरी तरह पानी बंद करना आसान नहीं है:
- कानूनी दिक्कत: संधि को तोड़ना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा। 2016 और 2019 में भारत ने संधि तोड़ने की धमकी दी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया।
- पहले से कदम: शाहपुर कांडी बैराज (2024) ने रावी नदी का पानी पूरी तरह रोक दिया, जो भारत का हक था। लेकिन पश्चिमी नदियों को रोकना मुश्किल है, क्योंकि ये पाकिस्तान के लिए बहुत जरूरी हैं।
- राजनीतिक दबाव: भारत में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख के कारण संधि पर दबाव है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पूरी तरह पानी रोकना कूटनीतिक और आर्थिक नुकसान के साथ आएगा।
आगे क्या होगा?
अगर भारत पानी बंद करता है, तो पाकिस्तान को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा:
- खेती और अर्थव्यवस्था: फसल उत्पादन और बिजली उत्पादन पर असर पड़ेगा, जिससे खाद्य संकट और बेरोजगारी बढ़ेगी।
- जंगल और पर्यावरण: मैंग्रोव और सिंचाई वाले जंगल नष्ट हो सकते हैं, जिससे मिट्टी का कटाव और रेगिस्तान का फैलाव बढ़ेगा।
- बारिश: बारिश पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन लंबे समय में पर्यावरणीय बदलाव स्थानीय बारिश को प्रभावित कर सकते हैं।
- पानी की कमी: पाकिस्तान पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा है। पानी बंद होने से यह संकट और गहरा होगा।
पाकिस्तान को इस संकट से निपटने के लिए चाहिए:
- पानी का बेहतर प्रबंधन: बांध, पानी रीसाइक्लिंग, और कुशल सिंचाई सिस्टम।
- जंगल बढ़ाना: टेन बिलियन ट्री प्रोग्राम को और मजबूत करना।
- जलवायु अनुकूल खेती: ऐसी फसलें जो कम पानी में उग सकें।
- अंतरराष्ट्रीय मदद: जलवायु परिवर्तन और पानी प्रबंधन के लिए वैश्विक सहयोग।
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