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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कैसे इरैटोस्थनीज़ ने प्राचीन समय में धरती का साइज़ मापा

earth circumference
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इरैटोस्थनीज़ (Eratosthenes) एक बहुत ही होशियार विद्वान थे जो लगभग 240 ईसा पूर्व मिस्र के अलेक्जेंड्रिया (Alexandria) शहर में रहते थे। उन्होंने एक ऐसा काम किया जो इतिहास में दर्ज हो गया – उन्होंने सिर्फ एक डंडी (stick), उसका साया (shadow), और थोड़ा सा गणित (math) इस्तेमाल करके धरती का घेरा (circumference) यानी धरती के चारों ओर की दूरी माप ली। उनका तरीका बहुत आसान था, लेकिन इतना सही निकला कि आज भी छात्र, वैज्ञानिक और इतिहास प्रेमी इससे प्रेरित होते हैं।


Syene शहर में सूरज का संकेत

इरैटोस्थनीज़ ने Syene (आज का असवान, मिस्र) नाम के एक शहर के बारे में सुना। हर साल 21 जून को, यानी गर्मी के सबसे लंबे दिन (summer solstice) पर, वहाँ दोपहर के समय सूरज एकदम सिर के ऊपर होता था। अगर वहाँ ज़मीन में एक सीधी डंडी लगाई जाए, तो उसका कोई साया नहीं बनता था। इसका मतलब सूरज सीधा ऊपर से रोशनी डाल रहा होता था, यानी 90 डिग्री पर।


Alexandria में साया कुछ और कहता है

इरैटोस्थनीज़ को यह सुनकर जिज्ञासा हुई। उन्होंने उसी दिन, यानी 21 जून को, अपने शहर Alexandria में दोपहर को ज़मीन में एक डंडी लगाई। लेकिन यहाँ डंडी का साया बन रहा था। उन्होंने उस साए और डंडी के बीच का कोण (angle) मापा — जो लगभग 7.2 डिग्री निकला। इसका मतलब ये हुआ कि सूरज Syene की तरह सीधा सिर के ऊपर नहीं था, थोड़ा झुका हुआ था।


गणित से जोड़ा दोनों शहरों को

अब इरैटोस्थनीज़ को ये पता था कि धरती गोल (round) है। और एक गोलाई में कुल 360 डिग्री होते हैं। अगर Alexandria और Syene के बीच का कोण 7.2 डिग्री है, तो यह पूरा गोल का एक छोटा हिस्सा हुआ। उन्होंने इसे ऐसे मापा:

7.2 ÷ 360 = 1/50

इसका मतलब, Alexandria और Syene के बीच की दूरी धरती की कुल परिधि (circumference) का 1/50वां हिस्सा है।


शहरों के बीच की दूरी कैसे मापी?

अब अगला सवाल था — दोनों शहरों के बीच की दूरी कितनी है? उस समय यात्रियों और व्यापारियों से मिली जानकारी के आधार पर उन्होंने अंदाज़ा लगाया कि Alexandria से Syene तक की दूरी लगभग 800 किलोमीटर है। उस समय वे “stadium” नाम की इकाई का उपयोग करते थे। उन्होंने इसे 5000 stadiums बताया। (1 stadium लगभग 157.5 मीटर होता है, तो 5000 stadiums = लगभग 800 किमी)


अब आई असली गणना!

अब अगर 800 किलोमीटर, धरती की गोलाई का 1/50 हिस्सा है, तो पूरी गोलाई कितनी होगी?

800 × 50 = 40,000 किलोमीटर

यानि इरैटोस्थनीज़ ने बताया कि धरती की परिधि लगभग 40,000 किलोमीटर है। आजकल के वैज्ञानिक उपकरणों से पता चला है कि धरती की परिधि 40,075 किलोमीटर है। यानी इरैटोस्थनीज़ का अंदाज़ा लगभग बिलकुल सही था — और वो भी 2000 साल पहले!


ये खोज इतनी खास क्यों थी?

इरैटोस्थनीज़ की ये उपलब्धि कई वजहों से बहुत ज़बरदस्त थी:

  • साधारण साधन: सिर्फ डंडी, साया और थोड़ी गणित से काम किया। कोई बड़ी मशीन नहीं!
  • साहसी सोच: उस समय सभी लोग नहीं मानते थे कि धरती गोल है, लेकिन इरैटोस्थनीज़ ने ऐसा सोचा।
  • बहुत सटीक: उनकी गणना आज की साइंस के बहुत करीब निकली।
  • बुद्धिमत्ता का उदाहरण: उन्होंने सोच, निरीक्षण और गणित का इस्तेमाल करके एक बड़ा रहस्य सुलझा दिया।

इरैटोस्थनीज़ की विरासत

धरती की माप लेना ही उनका अकेला योगदान नहीं था। इरैटोस्थनीज़ ने नक्शे बनाए, तारों का अध्ययन किया और Prime Numbers (अविभाज्य संख्याएँ) खोजने के लिए एक तरीका बनाया जिसे आज भी “Sieve of Eratosthenes” कहा जाता है।

उनका तरीका आज भी स्कूलों में सिखाया जाता है, क्योंकि यह दिखाता है कि अगर जिज्ञासा और बुद्धि हो, तो बड़े से बड़े सवाल भी हल किए जा सकते हैं — वो भी बिना किसी टेक्नोलॉजी के।


मज़ेदार जानकारी

आप भी इरैटोस्थनीज़ की तरह प्रयोग कर सकते हैं! किसी धूप वाले दिन एक डंडी ज़मीन में लगाइए, उसका साया नापिए और थोड़ी गणित से अनुमान लगाइए कि सूरज कितना झुका हुआ है। आपको लगेगा जैसे आप भी एक प्राचीन वैज्ञानिक बन गए हों!

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