भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ रहा है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश के दो कमजोर रास्तों को “चिकन नेक” (मुर्गी की गर्दन) कहा। यह जवाब बांग्लादेश के अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस के बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की बात की। यह लेख बहुत आसान हिंदी में इस मुद्दे को समझाता है, कि ये रास्ते क्यों अहम हैं और दोनों देशों के लिए इनका क्या मतलब है।
चिकन नेक क्या है?
चिकन नेक यानी एक पतला रास्ता, जो देश के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन इसे आसानी से रोका जा सकता है। भारत का चिकन नेक पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी कॉरिडोर है। यह सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा है और भारत के मुख्य हिस्से को पूर्वोत्तर के आठ राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा) से जोड़ता है। इस रास्ते पर सड़कें, रेलवे और संचार लाइनें हैं। यह नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से घिरा है, इसलिए यह बहुत संवेदनशील है।
हिमंत सरमा ने बताया कि बांग्लादेश के भी दो ऐसे कमजोर रास्ते हैं:
- चटगांव रास्ता: यह बहुत पतला रास्ता बांग्लादेश के मुख्य हिस्से को चटगांव शहर से जोड़ता है। चटगांव बांग्लादेश का सबसे बड़ा बंदरगाह है, जहां से 90% से ज्यादा व्यापार होता है। यह मेघालय के पास है और त्रिपुरा के सबरूम से सिर्फ 30-40 किलोमीटर दूर है। इसे रोकना आसान है।
- रंगपुर रास्ता: यह 90 किलोमीटर लंबा रास्ता मेघालय के साउथ वेस्ट गारो हिल्स और पश्चिम बंगाल के साउथ दिनाजपुर के बीच है। यह बांग्लादेश के कई हिस्सों को जोड़ता है।
सरमा ने चेतावनी दी कि अगर बांग्लादेश भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर को निशाना बनाएगा, तो भारत इन दो रास्तों को रोक सकता है, जिससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी को नुकसान होगा।
तनाव क्यों बढ़ा?
तनाव तब शुरू हुआ जब मुहम्मद यूनुस ने चीन की यात्रा के दौरान भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को “जमीन से घिरा” बताया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश इस क्षेत्र के लिए व्यापार का रास्ता बन सकता है, और चीन के साथ मिलकर काम कर सकता है। इससे भारत को चिंता हुई, क्योंकि चीन भारत का प्रतिद्वंद्वी है और वह भारत की सीमाओं के पास अपनी ताकत बढ़ा रहा है।
अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद भारत-बांग्लादेश के रिश्ते खराब हुए। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमले की खबरें आईं, जिससे तनाव और बढ़ा। साथ ही, खबर है कि चीन बांग्लादेश के लालमोनिरहट में एक पुराने हवाई अड्डे को फिर से शुरू करने में मदद कर रहा है। यह हवाई अड्डा सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर है और इससे भारत की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।
सरमा का जवाब
हिमंत सरमा ने यूनुस को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के रास्ते भारत के रास्ते से ज्यादा कमजोर हैं। उन्होंने भारत की सैन्य ताकत की बात की और “ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र किया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। उन्होंने बांग्लादेश के कुछ लोगों द्वारा भारत के पूर्वोत्तर पर दावा करने वाली बात को खारिज किया और कहा कि भारत भी ऐसा ही नक्शा बना सकता है।
ये रास्ते क्यों अहम हैं?
सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि यह पूर्वोत्तर को बाकी देश से जोड़ता है। अगर इसे रोका गया, तो पूर्वोत्तर अलग-थलग हो सकता है। बांग्लादेश के लिए चटगांव रास्ता जरूरी है, क्योंकि यह उनके मुख्य बंदरगाह को जोड़ता है। रंगपुर रास्ता भी उनके कई हिस्सों को जोड़ने के लिए अहम है। अगर इन रास्तों को रोका गया, तो बांग्लादेश को बड़ा नुकसान होगा।
चीन का बांग्लादेश में बढ़ता दखल भारत के लिए चिंता की बात है। लालमोनिरहट हवाई अड्डा भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
आगे क्या होगा?
सरमा ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर को मजबूत करने के लिए सड़कें, रेलवे और सुरंग बनाने की बात की। भारत ने इस इलाके में S-400 जैसे मजबूत हथियार भी तैनात किए हैं। अगर बांग्लादेश चीन के साथ और करीब गया, तो तनाव बढ़ सकता है। दोनों देशों को बातचीत कर इस मुद्दे को सुलझाना होगा।
निष्कर्ष
भारत और बांग्लादेश के बीच चिकन नेक को लेकर तनाव दिखाता है कि दोनों देशों के रिश्ते कितने नाजुक हैं। असम के सीएम की चेतावनी बताती है कि ये पतले रास्ते दोनों देशों की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए कितने जरूरी हैं। भारत और बांग्लादेश को शांति बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा।