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ट्रम्प बनाम हार्वर्ड: 788 भारतीय छात्रों के लिए इसका क्या मतलब है

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क्या हुआ?

22 मई 2025 को अमेरिका की सरकार ने, जो डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में है, एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक खास प्रोग्राम, जिसे स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) कहते हैं, से हटा दिया। यह प्रोग्राम विदेशी छात्रों को F-1, M-1, या J-1 वीजा पर अमेरिका में पढ़ने की इजाजत देता है। अब हार्वर्ड 2025-26 सत्र से नए विदेशी छात्र नहीं ले सकता। जो छात्र अभी पढ़ रहे हैं, खासकर 788 भारतीय छात्र, उन्हें या तो दूसरी SEVP मान्यता वाली यूनिवर्सिटी में जाना होगा या अमेरिका छोड़ना पड़ेगा।

ऐसा क्यों हुआ?

अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (DHS), जिसकी प्रमुख क्रिस्टी नोएम हैं, ने कहा कि हार्वर्ड नियम नहीं मान रहा। उन्होंने हार्वर्ड पर ये आरोप लगाए:

  • हिंसा और यहूदी-विरोधी भावनाओं (एंटीसेमिटिज्म) को बढ़ावा देना।
  • चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर काम करना।
  • विदेशी छात्रों के रिकॉर्ड, जैसे उनके विरोध प्रदर्शनों के वीडियो या ऑडियो, न देना।

सरकार ने हार्वर्ड की डाइवर्सिटी, इक्विटी, और इनक्लूजन (DEI) नीतियों की भी आलोचना की, जो सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करती हैं। उनका कहना है कि हार्वर्ड हमास नामक संगठन का समर्थन करता है। हार्वर्ड ने इन आरोपों को “गैरकानूनी” और “बदले की कार्रवाई” बताया है। यूनिवर्सिटी अब कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ लड़ रही है, और एक जज ने छात्रों को थोड़ा समय देने के लिए अस्थायी राहत दी है।

कौन प्रभावित है?

हार्वर्ड में लगभग 6,800 विदेशी छात्र पढ़ते हैं, जो कुल छात्रों का 27% हैं। इनमें से 788 भारतीय हैं। हर साल 500-800 भारतीय छात्र हार्वर्ड में दाखिला लेते हैं। ये छात्र ज्यादातर साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, और मैथ (STEM) जैसे महत्वपूर्ण विषय पढ़ते हैं। यह फैसला उनकी पढ़ाई, वीजा, और भविष्य की योजनाओं को प्रभावित कर रहा है।

भारतीय छात्रों के लिए इसका क्या मतलब है?

1. दूसरी यूनिवर्सिटी में जाना

भारतीय छात्रों को अब दूसरी SEVP मान्यता वाली यूनिवर्सिटी ढूंढनी होगी। कुछ अच्छे विकल्प हैं:

  • MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी)
  • स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी
  • येल यूनिवर्सिटी या दूसरी बड़ी यूनिवर्सिटी

लेकिन दूसरी यूनिवर्सिटी में जाना आसान नहीं है। ज्यादातर स्कूलों ने इस साल के लिए दाखिले बंद कर दिए हैं, और सीटें कम हैं। स्कॉलरशिप या पैसों की मदद मिलना भी मुश्किल हो सकता है। छात्रों को जल्दी से कदम उठाने होंगे।

2. वीजा खोने का खतरा

अगर छात्र नई यूनिवर्सिटी नहीं ढूंढ पाए, तो उनका वीजा खत्म हो सकता है। इसका मतलब है कि उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है, नहीं तो उन्हें देश से निकाला जा सकता है। यह भारतीय छात्रों के लिए बहुत चिंता की बात है, जिन्होंने हार्वर्ड में पढ़ने के लिए बहुत मेहनत और पैसा लगाया है।

3. पढ़ाई में रुकावट

हार्वर्ड दुनिया की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटी में से एक है, जो QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में चौथे नंबर पर है। भारतीय छात्र यहां बेहतरीन पढ़ाई और अवसरों के लिए आते हैं। दूसरी यूनिवर्सिटी में जाने से उनकी पढ़ाई रुक सकती है, रिसर्च प्रोजेक्ट्स प्रभावित हो सकते हैं, या उनके करियर नेटवर्क कमजोर पड़ सकते हैं।

4. पैसों और भावनाओं का नुकसान

हार्वर्ड में पढ़ना बहुत महंगा है, और विदेशी छात्र ज्यादा फीस देते हैं। अगर उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी या दूसरी जगह जाना पड़ा, तो उनका पैसा बर्बाद हो सकता है। इसके अलावा, इस खबर ने छात्रों और उनके परिवारों में तनाव और डर पैदा किया है।

यह इतना बड़ा मुद्दा क्यों है?

भारतीय छात्रों के लिए

भारत हर साल हजारों छात्रों को अमेरिका भेजता है, और हार्वर्ड कई लोगों का सपना है। यह फैसला अमेरिका में पढ़ाई पर भरोसा कम कर सकता है। अगर छात्र हार्वर्ड में नहीं पढ़ पाए, तो वे कनाडा, ब्रिटेन, या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पढ़ने की सोच सकते हैं, जहां विदेशी छात्रों का स्वागत होता है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लिए

विदेशी छात्र, खासकर भारतीय, हार्वर्ड के लिए बहुत पैसा लाते हैं। वे यूनिवर्सिटी को विविधता और नई खोजों में मदद करते हैं, खासकर साइंस और टेक्नोलॉजी में। इन छात्रों को खोने से हार्वर्ड का पैसा और दुनिया में नाम प्रभावित हो सकता है।

भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए

यह फैसला उस समय आया है जब ट्रम्प ने भारत के साथ व्यापार समझौतों की बात की थी, जिसे भारत सरकार ने नकार दिया। भारतीय छात्रों को हार्वर्ड से रोकना दोनों देशों के बीच शिक्षा और नई खोजों के रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकता है।

भारतीय छात्र क्या कर सकते हैं?

भारतीय छात्रों के लिए कुछ जरूरी कदम:

  1. हार्वर्ड के इंटरनेशनल ऑफिस से बात करें: यूनिवर्सिटी शायद ट्रांसफर और वीजा के लिए मदद कर रही है। उनसे संपर्क करें।
  2. SEVP मान्यता वाली यूनिवर्सिटी ढूंढें: जल्दी से दूसरी यूनिवर्सिटी में आवेदन करें, खासकर अपने विषय में अच्छे स्कूल।
  3. वीजा विशेषज्ञ से सलाह लें: इमिग्रेशन वकील वीजा नियमों को समझने और रास्ते खोजने में मदद कर सकते हैं।
  4. दूसरे देशों के बारे में सोचें: अगर अमेरिका में रहना मुश्किल हो, तो कनाडा (जैसे टोरंटो यूनिवर्सिटी), ब्रिटेन (जैसे ऑक्सफोर्ड), या ऑस्ट्रेलिया के स्कूल देखें।
  5. खबरों पर नजर रखें: हार्वर्ड कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ लड़ रहा है। अगर फैसला बदल गया, तो स्थिति सुधर सकती है।

हार्वर्ड का आगे क्या होगा?

हार्वर्ड इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे रहा है। उनका कहना है कि यह गलत और पढ़ाई की आजादी के खिलाफ है। एक जज ने अभी के लिए थोड़ी राहत दी है, जिससे छात्रों को कुछ समय मिल सकता है। लेकिन ट्रम्प की सरकार ने चेतावनी दी है कि दूसरी यूनिवर्सिटी भी इस तरह की कार्रवाई का सामना कर सकती हैं।

यह सबके लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

ट्रम्प और हार्वर्ड का यह विवाद सिर्फ एक यूनिवर्सिटी की बात नहीं है। यह तय कर सकता है कि भारतीय और अन्य विदेशी छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए आएंगे या नहीं। अगर और यूनिवर्सिटी पर ऐसी पाबंदी लगी, तो कम छात्र अमेरिका आएंगे। इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था और नई खोजों को नुकसान हो सकता है। विदेशी छात्र हर साल अरबों रुपये और नए विचार लाते हैं।

आखिरी बात

हार्वर्ड का यह विवाद 788 भारतीय छात्रों और हजारों अन्य के लिए मुश्किल समय है। उन्हें अपनी पढ़ाई और भविष्य के लिए बड़े फैसले लेने होंगे। जल्दी कदम उठाकर, मदद मांगकर, और नए रास्ते खोजकर वे इस मुश्किल से निकल सकते हैं। हार्वर्ड का कोर्ट में केस इस बात को तय करेगा कि यह पाबंदी रहेगी या हटेगी। भारतीय छात्रों, माता-पिता, और शिक्षा में रुचि रखने वालों को खबरों पर नजर रखनी चाहिए और तैयार रहना चाहिए।

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