अब भारत के लोग तुर्की और अज़रबैजान घूमने नहीं जा रहे हैं। इसका कारण है इन दोनों देशों का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना। यह सब 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ। भारत ने इसके जवाब में “ऑपरेशन सिंदूर” नामक एक सैन्य कार्रवाई की, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) में आतंक के ठिकानों को निशाना बनाया गया। लेकिन तुर्की और अज़रबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया, जिससे भारतीय लोग नाराज़ हो गए। अब लोग इन देशों की यात्रा बंद कर रहे हैं और अर्मेनिया, ग्रीस जैसे नए स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं। पूरी ख़बर यहाँ पढ़ें!
क्यों शुरू हुआ यह बहिष्कार?
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। तुर्की ने कहा कि भारत की यह कार्रवाई गलत है और पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया। अज़रबैजान ने भी भारत की कार्रवाई की निंदा की और कहा कि इससे आम लोगों को नुकसान हुआ है। इसके अलावा खबर आई कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ तुर्की में बने असिसगार्ड सोंगर ड्रोन का इस्तेमाल किया। यह सुनकर भारतीय लोग और अधिक गुस्से में आ गए। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जिनमें लोग इन देशों की यात्रा न करने की बात कर रहे हैं।
तुर्की और अज़रबैजान क्यों थे पसंदीदा?
तुर्की और अज़रबैजान भारतीयों के लिए पसंदीदा पर्यटन स्थल थे। कारण? ये दोनों देश सुंदर हैं, सस्ते हैं, और वहां की संस्कृति बेहद दिलचस्प है। वर्ष 2024 में लगभग 3.3 लाख भारतीय तुर्की गए और वहाँ 350-400 मिलियन डॉलर खर्च किए। अज़रबैजान में भी 2.4 लाख से अधिक भारतीय गए, जो पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक था। इंडिगो एयरलाइंस की नई उड़ानों, जैसे इस्तांबुल (2019 से) और बाकू (2023 से), ने यात्रा को आसान और सस्ता बना दिया था। तुर्की के इस्तांबुल की ब्लू मॉस्क और कैपाडोसिया के हॉट एयर बलून, और अज़रबैजान के बाकू की सुंदरता भारतीय परिवारों और नवविवाहितों को बहुत पसंद थी। लेकिन अब यह बहिष्कार इन स्थानों को प्रभावित कर रहा है।
बहिष्कार से क्या नुकसान हो रहा है?
यह बहिष्कार तुर्की और अज़रबैजान के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान पहुँचा रहा है। देखें क्या हो रहा है:
- MakeMyTrip: इस ट्रैवल कंपनी ने बताया कि तुर्की और अज़रबैजान की बुकिंग्स 60% तक कम हो गई हैं। एक हफ्ते में कैंसलेशन 250% बढ़ गए। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यक न हो, तो इन देशों की यात्रा न करें, क्योंकि यह हमारे जवानों का सम्मान है।
- EaseMyTrip: उन्होंने बताया कि तुर्की के लिए 22% और अज़रबैजान के लिए 30% बुकिंग्स रद्द हुई हैं। उनका भी सुझाव है कि भारत के मित्र देशों की यात्रा की जाए।
- Ixigo और Cox & Kings: इन दोनों कंपनियों ने तुर्की और अज़रबैजान की नई बुकिंग्स रोक दी हैं। Ixigo ने चीन की बुकिंग्स भी बंद कर दी हैं। Cox & Kings के निदेशक ने कहा कि यह भारत के सम्मान के लिए किया गया है।
- Travomint: इस कंपनी ने Turkish Airlines, Pegasus Airlines, Corendon Airlines और Azerbaijan Airlines की टिकटें बेचना बंद कर दिया है।
- कुछ अन्य कंपनियाँ जैसे Pickyourtrail और Go Homestays ने भी बुकिंग्स रोकी हैं या तुर्की कंपनियों से संबंध तोड़ दिए हैं। हालांकि, MakeMyTrip ने तुर्की की कुछ बुकिंग्स जारी रखी हैं, क्योंकि इस्तांबुल यूरोप के लिए एक बड़ा हवाई केंद्र है।
तुर्की और अज़रबैजान के लिए पर्यटन क्यों जरूरी है?
तुर्की की अर्थव्यवस्था का 12% हिस्सा पर्यटन से आता है और लगभग 10% लोगों को इससे रोज़गार मिलता है। अज़रबैजान की 7.6% अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है। भारतीय पर्यटक एक व्यक्ति पर लगभग 1,200 से 1,500 डॉलर खर्च करते हैं। जब भारतीय वहाँ नहीं जा रहे, तो होटल, दुकानें और टूरिस्ट गाइड्स को बड़ा नुकसान हो रहा है। वर्ष 2024 में भारतीयों ने दोनों देशों में कुल मिलाकर लगभग 4,000 करोड़ रुपये (लगभग 480 मिलियन डॉलर) खर्च किए थे।
अब लोग कहाँ जा रहे हैं?
तुर्की और अज़रबैजान के स्थान पर भारतीय अब अर्मेनिया, ग्रीस, जॉर्जिया, सर्बिया, थाईलैंड और वियतनाम जा रहे हैं। ये स्थान सस्ते, सुंदर और भारत के मित्र हैं। अर्मेनिया से भारत का रिश्ता और भी मज़बूत हुआ है, क्योंकि भारत अब उसका सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया है।
सिर्फ पर्यटन नहीं, व्यापार भी रुक रहा है
यह बहिष्कार सिर्फ पर्यटन तक सीमित नहीं है। भारत के व्यापारियों ने तुर्की से संगमरमर और सेब मंगवाना बंद कर दिया है। भारत का 70% संगमरमर तुर्की से आता था, लेकिन अब वह ईरान, इटली और राजस्थान से लिया जा रहा है। तुर्की के सेबों के स्थान पर हिमाचल प्रदेश, न्यूजीलैंड और पोलैंड के सेब आ रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स भी तुर्की की वस्तुएँ कम दिखा रही हैं।
सोशल मीडिया ने निभाई भूमिका
सोशल मीडिया पर यह बहिष्कार बहुत बड़ा रूप ले चुका है। लोग पोस्ट कर रहे हैं कि वर्ष 2024 में भारत के 5.7 लाख लोग तुर्की और अज़रबैजान गए और 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए। उद्योगपति हर्ष गोयनका और राजनेता प्रियंका चतुर्वेदी जैसे बड़े नामों ने भी बहिष्कार का समर्थन किया और कहा कि लोग अर्मेनिया या ग्रीस जाएँ। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि भारत का पैसा उन देशों में जाना चाहिए जो भारत का सम्मान करते हैं।
तुर्की और अज़रबैजान पाकिस्तान के साथ क्यों हैं?
तुर्की और पाकिस्तान के रिश्ते बहुत गहरे हैं। तुर्की पाकिस्तान को Bayraktar ड्रोन और Kemankes मिसाइलें देता है और चीन के बाद पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। अज़रबैजान भी पाकिस्तान के साथ खड़ा रहता है क्योंकि उसका तुर्की से गहरा संबंध है और पाकिस्तान ने 2020 में नागोर्नो-काराबाख युद्ध में अज़रबैजान की मदद की थी। दूसरी ओर, भारत ने अर्मेनिया के साथ संबंध मज़बूत किए हैं और वर्ष 2024 में उसका सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया।
क्या यह बहिष्कार जारी रहेगा?
फिलहाल यह बहिष्कार तेज़ी से चल रहा है। 2024 में मालदीव के खिलाफ भी ऐसा ही बहिष्कार हुआ था, जब वहाँ के नेताओं ने भारत के प्रधानमंत्री की अवमानना की थी। उसके बाद से मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या बहुत कम हो गई थी। ऐसा ही तुर्की और अज़रबैजान के साथ भी हो सकता है। हालांकि, कुछ लोग कहते हैं कि बहिष्कार से वहाँ के छोटे दुकानदारों और होटल व्यवसायियों को नुकसान होगा, सरकार को नहीं। कुछ यह भी कहते हैं कि तुर्की एक बड़ा विमानन केंद्र है, इसलिए पूरी तरह से बहिष्कार कठिन हो सकता है।
आगे क्या होगा?
यह बहिष्कार दिखाता है कि भारत के लोग अपने देश के सम्मान और सुरक्षा के लिए कितने गंभीर हैं। अर्मेनिया और ग्रीस जैसे देशों का चुनाव कर लोग एक सशक्त संदेश दे रहे हैं। न्यूज़ टुडे इंडिया आपको इस बहिष्कार से जुड़ी और जानकारी देता रहेगा, और यह बताएगा कि यह ट्रैवल और भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कैसे बदल रहा है।
क्या आपने इस बहिष्कार के कारण अपने ट्रैवल प्लान बदले हैं? अपने विचार न्यूज़ टुडे इंडिया के साथ कमेंट में साझा करें!