पटना, बिहार | न्यूज़ टुडे इंडिया
बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा चुकी है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज़ हो गया है। इस बार की सबसे दिलचस्प टक्कर बनती दिख रही है—नीतीश कुमार बनाम सम्राट चौधरी।
जहाँ एक ओर अनुभवी नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं, जो लंबे समय से बिहार की सियासत के केंद्र में रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हैं सम्राट चौधरी, बीजेपी के तेज़तर्रार नेता और बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष, जो अपने आक्रामक तेवरों और स्पष्ट रणनीति के लिए जाने जाते हैं।
नीतीश कुमार: ‘सुशासन बाबू’ की अग्नि परीक्षा
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर बेहद लंबा और प्रभावशाली रहा है। जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नेता नीतीश कुमार को ‘सुशासन बाबू’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बिहार को ‘बदलते बिहार’ का सपना दिखाया और कई बुनियादी सुधार किए, जैसे—
- सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाओं में तेज़ी से सुधार
- शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में योजनाओं का विस्तार
- महिला सशक्तिकरण के लिए 50% आरक्षण जैसी पहल
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार पर गठबंधन बदलने, नीति में अस्थिरता और युवाओं के मुद्दों की अनदेखी के आरोप भी लगे हैं। विपक्ष उन्हें ‘यू-टर्न बाबू’ कहने से नहीं चूकता।
सम्राट चौधरी: आक्रामक रणनीति के साथ युवा चेहरा
बीजेपी के नेता सम्राट चौधरी इस बार के चुनाव में खुद को एक मज़बूत विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं। उन्होंने लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना करते हुए ‘विकास बनाम विश्वासघात’ का मुद्दा उठाया है।
उनकी मुख्य चुनावी रणनीति में शामिल हैं:
- युवाओं को रोज़गार
- भ्रष्टाचार मुक्त शासन
- जातिगत राजनीति को खत्म करने की बात
- डिजिटल और स्मार्ट बिहार की कल्पना
सम्राट चौधरी का मानना है कि बिहार को अब ‘नई सोच और नई ऊर्जा’ की ज़रूरत है, जो सिर्फ़ बीजेपी ही दे सकती है।
जनता का मूड: बदलाव या भरोसा?
न्यूज़ टुडे इंडिया के ज़मीनी सर्वे और जनता की राय जानने पर कुछ अहम बिंदु सामने आए:
✅ गांवों में अब भी नीतीश कुमार के काम का असर है
✅ शहरी युवा और बेरोज़गार वर्ग सम्राट चौधरी की बातों में रुचि दिखा रहा है
✅ महिला मतदाता अब भी नीतीश की योजनाओं से प्रभावित हैं
✅ लेकिन पहली बार वोट डालने वाले युवाओं में ‘बदलाव’ की लहर दिख रही है
गठबंधन की गणित और सीटों का समीकरण
नीतीश कुमार इस बार INDIA गठबंधन के साथ हैं, जिसमें राजद, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं।
वहीं बीजेपी अकेले मैदान में उतर सकती है या लोक जनशक्ति पार्टी जैसे पुराने सहयोगियों को फिर से जोड़ सकती है।
2020 के चुनाव परिणामों पर नज़र डालें तो:
- एनडीए को बहुमत मिला था, लेकिन JDU की सीटें घटी थीं
- अब भाजपा की कोशिश है कि वह खुद को अगला नेतृत्वकर्ता घोषित करे
- सम्राट चौधरी इसी रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं
निष्कर्ष: बिहार का भविष्य किसके हाथ में?
बिहार चुनाव 2025 सिर्फ़ एक राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि राज्य की अगली दिशा तय करने वाली जंग है।
क्या जनता फिर से नीतीश कुमार पर भरोसा जताएगी या इस बार सम्राट चौधरी को एक नया मौका देगी?
नज़रें अब इस बात पर हैं कि कौन दिखाएगा नेतृत्व की असली ताकत – अनुभव या ऊर्जा?
📍 आपकी राय क्या है? कौन बनेगा बिहार का अगला मुख्यमंत्री? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं।
📢 जुड़े रहिए News Today India के साथ, जहां आपको मिलती है सबसे तेज़, सटीक और निष्पक्ष चुनावी रिपोर्टिंग।
© News Today India | आपकी आवाज़, आपके सवाल, आपकी खबर