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फूड डिलीवरी ऐप्स बनाम DeepSeek: पियूष गोयल की चेतावनी और भारतीय स्टार्टअप्स के लिए सबक

piyush goyal
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नई दिल्ली – भारत के केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बात कही, जो देश के सभी स्टार्टअप्स, टेक्नोलॉजी प्रेमियों और युवा उद्यमियों के लिए एक बड़ी चेतावनी है।

उन्होंने कहा कि भारत के अधिकांश युवा आजकल सिर्फ फूड डिलीवरी ऐप्स, ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स, और डेली कंज़म्प्शन सर्विसेस पर ध्यान दे रहे हैं। वहीं, चीन जैसे देश DeepSeek जैसी कंपनियों के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं।

🔍 DeepSeek: चीन की नई टेक ताकत

DeepSeek एक नई उभरती हुई चीनी कंपनी है, जिसने मात्र कुछ महीनों में ऐसा AI मॉडल विकसित कर लिया है जो ChatGPT और Google Gemini जैसे अंतरराष्ट्रीय मॉडलों को सीधी टक्कर दे रहा है।

इस कंपनी ने कोड जनरेशन, भाषा प्रोसेसिंग और ज्ञान आधारित ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में बड़े स्तर पर काम शुरू कर दिया है। DeepSeek के मॉडल अब ओपन-सोर्स भी कर दिए गए हैं, ताकि दुनियाभर के डेवलपर्स इसका प्रयोग कर सकें।

इसका मतलब है कि चीन अब सिर्फ तकनीकी प्रोडक्ट्स का उपभोक्ता नहीं, बल्कि AI रिसर्च और इनोवेशन में ग्लोबल लीडर बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।

🍔 भारत की तस्वीर: स्टार्टअप्स सिर्फ पेट भरने में व्यस्त?

वहीं भारत में युवाओं का एक बड़ा वर्ग स्टार्टअप की दुनिया में कदम जरूर रख रहा है, लेकिन ज्यादातर स्टार्टअप्स का उद्देश्य केवल सुविधाएं देना या खाने-पीने की चीजें पहुंचाना रह गया है।

पियूष गोयल ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा:

“हमारे देश के युवा सिर्फ खाना पहुंचाने की ऐप्स बना रहे हैं, जबकि चीन DeepSeek जैसी तकनीकी ताकतें खड़ी कर रहा है।”

उनका मानना है कि अगर भारत को भविष्य की टेक्नोलॉजी की रेस में आगे निकलना है, तो सिर्फ कंज़्यूमर ऐप्स बनाकर बात नहीं बनेगी। हमें उन क्षेत्रों में उतरना होगा जहां ज्ञान, रिसर्च और उच्च स्तर की तकनीकी इनोवेशन की ज़रूरत हो।

🎯 DeepSeek बनाम भारतीय स्टार्टअप्स: असली मुकाबला कहां है?

DeepSeek जैसे मॉडल केवल कोड लिखने या सवालों के जवाब देने तक सीमित नहीं हैं, वे दुनिया की भाषा, साइंस, और लॉजिकल सिस्टम्स को समझने और उन्हें बेहतर करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

भारत में हालांकि Zomato, Swiggy, Blinkit जैसे प्लेटफॉर्म्स ने डिलीवरी सिस्टम्स को रिवॉल्यूशनाइज़ कर दिया है, लेकिन इनमें टेक्नोलॉजी का प्रयोग केवल यूजर एक्सपीरियंस तक सीमित है। कोई मूलभूत रिसर्च या वैश्विक स्तर पर प्रभाव छोड़ने वाली टेक्नोलॉजी इनसे नहीं निकल रही।

📢 सबक क्या है?

पियूष गोयल की यह बात सिर्फ आलोचना नहीं, बल्कि एक कॉल टू एक्शन है। वे चाहते हैं कि भारत के युवा भी DeepSeek जैसी कंपनियां बनाएं। भारत की आबादी, टैलेंट और टेक्निकल बैकग्राउंड इस योग्य है कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में दुनिया को दिशा दें।

🛠️ अब क्या करना होगा?

  • भारत के स्टार्टअप्स को “समस्या सुलझाने” से आगे बढ़कर “भविष्य गढ़ने” पर ध्यान देना होगा।
  • विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों को रिसर्च को फंड और फ्रीडम देना होगा।
  • सरकार को केवल फाइनेंसिंग नहीं, बल्कि टेक इनोवेशन में नीति और सुरक्षा दोनों स्तरों पर सहयोग देना होगा।

🔚 निष्कर्ष

भारत के पास क्षमता है, विज़न है और जनसंख्या का लाभ भी है। लेकिन हमें दिशा बदलनी होगी। अगर हम केवल खाना पहुंचाने में लगे रहेंगे, तो टेक्नोलॉजी की इस दौड़ में चीन जैसी अर्थव्यवस्थाएं हमसे बहुत आगे निकल जाएंगी।

आज जरूरत है कि हम Zomato और Swiggy जैसे स्टार्टअप्स से आगे बढ़ें, और DeepSeek जैसी कंपनियों को भारत में खड़ा करें। यही असली आत्मनिर्भरता होगी।


✍️ लेख: News Today India
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