न्यूज़ टुडे इंडिया | 23 अप्रैल, 2025
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को हुआ आतंकी हमला देश के लिए एक बड़ा झटका था। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। हमला बैसरण वैली में हुआ, जिसे लोग “मिनी स्विट्जरलैंड” के नाम से जानते हैं। लश्कर-ए-तैयबा और उससे जुड़ा द रेजिस्टेंस फ्रंट, जो पाकिस्तान से समर्थन पाते हैं, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़ा और दिल्ली लौटकर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक बुलाई। 23 अप्रैल को भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ पांच सख्त फैसले लिए।

पहलगाम में क्या हुआ?
22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम की बैसरण वैली में 5 से 7 आतंकियों ने पर्यटकों पर गोलियां चलाईं। उन्होंने लोगों से इस्लामिक आयतें पढ़ने को कहा और जो नहीं पढ़ पाए, उन पर हमला किया। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें 25 भारतीय पर्यटक, एक नेपाली नागरिक, एक यूएई नागरिक और दो स्थानीय लोग शामिल थे। 20 से ज्यादा लोग घायल हुए। मरने वालों में एक नवविवाहित नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और एक स्थानीय घोड़ा सवार सैयद आदिल हुसैन शाह भी थे, जिन्होंने आतंकियों से बहादुरी से मुकाबला किया।

द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली। यह समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है, और हमले की योजना सैफुल्लाह कसूरी नाम के कमांडर ने बनाई। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर का सबसे बड़ा आतंकी हमला था। हमले ने पूरे देश को हिला दिया। लोग सड़कों पर उतरे, मोमबत्तियां जलाकर पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
विश्व नेताओं की प्रतिक्रिया
हमले की खबर फैलते ही विश्व नेताओं ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई:
- अमेरिका: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उपराष्ट्रपति जेडी वान्स ने हमले की निंदा की। उन्होंने भारत को हर तरह की मदद का भरोसा दिया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने भी भारत का समर्थन किया।
- नेपाल: प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मोदी से फोन पर बात की और मारे गए नेपाली नागरिक के लिए शोक जताया।
- ऑस्ट्रेलिया: प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने हमले को “कायराना” बताया और भारत के साथ खड़े होने की बात कही।
- रूस, तुर्की, चीन: इन देशों के नेताओं ने हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ दिया।
- मालदीव: विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने कहा कि आतंकवाद शांति के लिए खतरा है।
- कनाडा: कनाडा ने आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन विपक्षी नेता पियरे पॉइलिव्रे ने हमले की निंदा की।

भारत की त्वरित प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमले के समय सऊदी अरब में थे। उन्होंने अपना दौरा तुरंत छोटा किया और 22 अप्रैल की रात दिल्ली लौटे। 23 अप्रैल को उन्होंने अपने घर पर CCS बैठक बुलाई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल शामिल थे। बैठक में पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका पर गहन चर्चा हुई और जवाबी कदमों की योजना बनी।
बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पांच बड़े फैसलों की घोषणा की। ये फैसले सीमा पार आतंकवाद को रोकने और पाकिस्तान पर दबाव डालने के लिए थे। ये कदम भारत की सख्त नीति को दिखाते हैं, जो आतंकवाद के खिलाफ कोई ढील नहीं देगी।

भारत के पांच सख्त फैसले
1. सिंधु जल संधि को रोकना
भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तुरंत रोक दिया। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों—सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलज—के पानी के बंटवारे का समझौता है। पाकिस्तान अपनी खेती, बिजली, और पानी की जरूरतों के लिए इन नदियों पर निर्भर है। इस संधि को रोकने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो सकता है। भारत ने कहा कि यह रोक तब तक रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता। यह फैसला पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव डालने का एक मजबूत कदम है।
2. अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करना
भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर के चेकपोस्ट को तुरंत बंद कर दिया। यह बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार और यात्रा का मुख्य रास्ता है। इसे बंद करने से दोनों देशों के बीच सीधा व्यापार और आवागमन रुक गया। वैध दस्तावेज वाले लोग 1 मई, 2025 तक इस रास्ते से लौट सकते हैं, लेकिन नए क्रॉसिंग की अनुमति नहीं है। यह कदम आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति को और मजबूत करता है।
3. पाकिस्तानियों के लिए सार्क वीजा रद्द करना
भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना को बंद कर दिया। इस योजना के तहत पाकिस्तानी भारत यात्रा कर सकते थे। सभी मौजूदा सार्क वीजा रद्द कर दिए गए। भारत में इस वीजा पर मौजूद पाकिस्तानियों को 48 घंटों में देश छोड़ने का आदेश दिया गया। यह फैसला पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में लिया गया ताकि पाकिस्तान के साथ यात्रा संबंध खत्म हों। इससे दोनों देशों के बीच लोगों का आना-जाना पूरी तरह रुक गया।
4. पाकिस्तान के सैन्य सलाहकारों को निकालना
भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन के रक्षा, सैन्य, नौसेना, और वायु सलाहकारों को “पर्सोना नॉन ग्राटा” (अवांछित व्यक्ति) घोषित किया। उन्हें एक हफ्ते के अंदर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया। यह फैसला पाकिस्तान की राजनयिक मौजूदगी को कम करने के लिए लिया गया। इससे भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव और बढ़ गया है। यह कदम दिखाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कितना गंभीर है।
5. भारत के सलाहकारों को वापस बुलाना
भारत ने इस्लामाबाद में भारतीय हाई कमीशन से अपने रक्षा, नौसेना, और वायु सलाहकारों को वापस बुला लिया। साथ ही, हाई कमीशन के स्टाफ को 55 से घटाकर 30 करने का फैसला किया गया, जो 1 मई, 2025 तक पूरा होगा। यह कदम दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को और कम करता है। भारत ने साफ कर दिया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता रहेगा, सामान्य संबंध संभव नहीं हैं।
सुरक्षा और जांच के कदम
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सुरक्षा और न्याय के लिए कई कदम उठाए:
- सुरक्षा बढ़ाई गई: भारतीय सेना, सीआरपीएफ, और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहलगाम में बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया। हेलिकॉप्टर और स्पेशल फोर्स की मदद से आतंकियों की तलाश हो रही है। दो आतंकी मारे गए, और तीन अन्य—आसिफ फौजी, सुलेमान शाह, और अबू तल्हा—की तलाश जारी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच शुरू की और संदिग्धों के स्केच जारी किए। पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। दिल्ली में पर्यटक स्थलों पर अतिरिक्त जांच हो रही है।
- पहलगाम में लॉकडाउन: लोगों की सुरक्षा के लिए पहलगाम में अस्थायी लॉकडाउन लगाया गया। बाजार बंद हैं, और लोगों को घरों में रहने को कहा गया है। यह कदम आतंकियों को पकड़ने और और हमलों को रोकने के लिए है।
- पीड़ितों की मदद: जम्मू-कश्मीर सरकार ने मारे गए लोगों के परिवारों को 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल लोगों को 2 लाख रुपये, और अन्य घायलों को 1 लाख रुपये देने की घोषणा की। पीड़ितों के शव श्रीनगर हवाई अड्डे से उनके गृह राज्यों में भेजे गए। घायलों का इलाज श्रीनगर और दिल्ली के अस्पतालों में चल रहा है।
- सर्वदलीय बैठक: 24 अप्रैल, 2025 को सर्वदलीय बैठक होगी, जिसमें हमले और भारत की कार्रवाई पर चर्चा होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसकी अध्यक्षता करेंगे। सभी राजनीतिक दल आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बात कर रहे हैं।
पर्यटन पर असर
पहलगाम आतंकी हमला ने कश्मीर के पर्यटन को बड़ा नुकसान पहुंचाया। हमले के बाद पर्यटक डर के मारे कश्मीर छोड़ रहे हैं। कई लोग अपनी यात्रा रद्द कर रहे हैं। एयरलाइंस ने श्रीनगर से दिल्ली के लिए अतिरिक्त उड़ानें शुरू कीं और टिकट रद्द करने पर मुफ्त रिफंड की पेशकश की। अमेरिका ने कश्मीर के लिए “यात्रा न करें” की चेतावनी जारी की, जिससे पर्यटन को और नुकसान हुआ। जम्मू-कश्मीर सरकार ने पर्यटकों को सुरक्षा का भरोसा दिया है, लेकिन फिलहाल लोग यात्रा से बच रहे हैं।
इन फैसलों का महत्व
पहलगाम आतंकी हमला भारत के लिए एक गंभीर चुनौती था। यह हमला निर्दोष पर्यटकों पर हुआ, जिनमें नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और स्थानीय घोड़ा सवार सैयद आदिल हुसैन शाह जैसे लोग शामिल थे, जिन्होंने आतंकियों से बहादुरी से लड़ा। यह हमला 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर में पर्यटन बढ़ाने की भारत की कोशिशों को नुकसान पहुंचाता है।
मोदी के पांच फैसले पाकिस्तान को साफ संदेश देते हैं कि भारत आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा:
- सिंधु जल संधि की रोक: इससे पाकिस्तान की खेती और पानी की सप्लाई पर असर पड़ेगा। यह पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों का समर्थन रोकने के लिए मजबूर कर सकता है।
- बॉर्डर और वीजा बंद: अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने और वीजा रद्द करने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा और वह अलग-थलग पड़ जाएगा।
- राजनयिक कटौती: सलाहकारों को निकालने और स्टाफ कम करने से दोनों देशों के संबंध लगभग खत्म हो गए हैं।
ये कदम भारत की शून्य सहनशीलता नीति को दिखाते हैं। लेकिन कुछ विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इससे भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ सकता है, शायद सैन्य टकराव तक। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत न केवल हमलावरों को, बल्कि सीमा पार से हमले की योजना बनाने वालों को भी सजा देगा।
लोगों की प्रतिक्रिया
हमले के बाद भारत में गुस्सा और दुख फैल गया। कई शहरों में लोग सड़कों पर उतरे और मोमबत्तियां जलाकर पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। बॉलीवुड सितारे जैसे सलमान खान और विवियन डिसूजा ने कहा कि कश्मीर अब निर्दोष लोगों के लिए खतरनाक हो रहा है। क्रिकेटर जैसे हार्दिक पांड्या और पैट कमिंस ने भी दुख जताया।
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि उनकी पार्टी आतंकवाद के खिलाफ सरकार के सभी कदमों का समर्थन करेगी। लेकिन रॉबर्ट वाड्रा ने हमले को भारत में हिंदू-मुस्लिम तनाव से जोड़ा, जिसकी बीजेपी ने कड़ी आलोचना की। सोशल मीडिया पर #PahalgamTerrorAttack और #JusticeForPahalgam जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बात कर रहे हैं।
आगे क्या होगा?
भारत के पांच सख्त फैसले पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा कदम हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) बचे हुए आतंकियों को पकड़ने के लिए दिन-रात काम कर रही है। सुरक्षा बल पूरे जम्मू-कश्मीर में हाई अलर्ट पर हैं। 24 अप्रैल, 2025 को होने वाली सर्वदलीय बैठक में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा और भारत की आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि हमलावरों और उनके समर्थकों को सजा जरूर मिलेगी। पहलगाम आतंकी हमला ने कश्मीर के पर्यटन को बड़ा नुकसान पहुंचाया है, लेकिन भारत इसे फिर से सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार पीड़ितों के परिवारों और घायलों की हर संभव मदद कर रही है। साथ ही, पाकिस्तान को यह साफ संदेश दे रही है कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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